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मां का गरम गोदाम बेटे के नाम

हेलो दोस्तों, मेरा नाम शांति है। मैं अभी 38 साल की हूं, और दिखने में बहुत ही ज्यादा गोरी और मदमस्त हूं। मेरी बड़ी-बड़ी गांड और मोटी-मोटी चूचियां लोगों को बड़े ही आकर्षित करते हैं। मेरी साड़ी के कोर से दिखती हुई चिकनी कमर पर लोगों के दिल फिसलने लगते हैं।

मैं बहुत ही ज्यादा कामुक औरत हूं। मेरा भी खुद पर कंट्रोल खो जाता है। जब मैं मर्दों को अपने लंड मसलते हुए देखती हूं, मैं घर आकर अपनी चूत में उंगली कर लेती हूं।

मेरे पति विदेश में रहते हैं और साल भर में आते हैं, इसलिए मैं प्यासी तड़पती रहती हूं। मेरे साथ में मेरी बेटी जो कि अभी 14 साल की है, और मेरा बेटा जो अब 20 साल का हो गया है। मैं बिहार के पटना से हूं, और अपने बेटे के साथ रहती हूं। बेटी नानी के यहां रह कर पढ़ती है। बेटे का नाम सरोज है। वह बहुत ही ज्यादा स्मार्ट हो गया है।

मेरी एक पड़ोस में सहेली है। बहुत ही ज्यादा कामुक है। उसके पति रोज उसे चोदते है। वह मुझे आकर बताती है कि किस-किस तरह से उसके पति ने उसे चोदा, और मुझे गर्म करके चली जाती है। वह मुझे हमेशा कहा करती थी कि, “क्यों साल भर तड़पती रहती हो, किसी बाहरी मर्द पर भी अपने जवानी लुटाओ और मजा लो।”

उसकी बातों से मेरा मन मचल जाता था, पर मैं नहीं चाहती थी कि कोई बाहरी मर्द मेरे जवानी के इस गरम गोदाम को लूटे, और मेरी बदनामी करे। इसलिए मैं चूत में उंगली करके ही शांत रह जाती थी।

एक दिन मैं दोपहर को सो कर उठी तो सोची कि अपने बेटे को खाने के लिए पूछ लूं। जब उसके कमरे के पास गई तो उसका कमरा बंद था, और अंदर से अजीब आवाज आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि फोन में कोई बीएफ देख रहा हो। मैं बड़े गौर से दरवाजे पर कान लगा कर सुनने लगी। मैं ठीक ही सोच रही थी, वह अंदर बैठ बीएफ देख रहा था।

मैंने उसे आवाज लगाई: बेटा चलो खा लो।

वह थोड़े गुस्से में बोला: हां आता हूं, आप चलो।

पर मैं वहीं खड़ी रही कि थोड़ी देर में उसने दरवाजा खोला, और मैं उसे देखती रही। वह पसीने से लथपथ था। वह मुझे बड़ी ही विचित्र नजरों से देखने लगा। मैं अपने पल्लू को कमर में खोशी हुई थी, और मेरी नाभि दिख रही थी। वह बड़ी ही अजीब नजरों से मेरे नाभि और मेरी चूचियों को देखा, और फिर टेबल पर जाकर बैठ गया।

उसे जब मैं खाना परोस रही थी, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने मेरी गांड को टच करने की कोशिश की। मुझे बड़ा अजीब लगा। उस दिन मैं उसके बारे में ही सोचती रही। वह मेरे ऊपर शायद अशक्त हो रहा था।

वह बचपन से मेरे साथ ही नहाता आया हुआ था। हम दोनों नंगे नहाए हुए थे एक साथ। वह मेरे चूचियों के साथ खूब खेलता था। जब वह 8-9 साल का हुआ, उसके बाद मैंने उसके साथ नहाना बंद कर दिया और उसे खुद नहाने के लिए बोल दी। फिर एक दिन जब वह 18 साल का था, तब मैंने उसके लंड को देखा था, जब वह मूत्र रहा था। उसका नुनु अब बहुत बड़ा लंड बन चुका था। उस दिन मेरे शरीर में थोड़ी अजीब सी सनसनाहट हुई, पर मैं खुद को कंट्रोल की और उसके बाद उस पर से ध्यान हटा ली।

पर अब फिर से मेरे अंदर वही गुदगुदी जाग रही थी, यही सोचते हुए मैं सो गई।‌ रात में मुझे ऐसा लगा जैसे वह मेरे गरम गोदाम में अपना मुंह लगा कर मेरी चूचियों को चूस रहा हो, जैसे वह बचपन में चूसता था। मैं यही सोचते हुए ना जाने कब अपनी चूत रगड़ने लगी और झड़ गई।

सुबह जब उठी तो उसके कमरे में गई मैं अस्त व्यस्त कपड़ों के साथ। वहां गई तो देखी कि वह बाथरूम में नहा रहा था। मैं झाड़ू लगने लगी। तभी वह नहा कर अंडरवियर पहन कर मेरे सामने आ गया। मैं उसके बदन को देखती रही। उसके लंड का उभार साफ़ पता चल रहा था।

वह मेरी नाभि और चूचियों को बड़े गौर से देख रहा था। फिर मैं अपने काम में लग गई। वह भी अपने कपड़े पहनने लगा। उसके बाद ऐसे ही दो-तीन दिन बीत गए। अब मेरी मनोदशा उसके प्रति बदल चुकी थी। वह मुझे मेरा बेटा नहीं एक मर्द लग रहा था, और वह भी मुझे एक औरत की नजरों से देख रहा था। अब मुझे वह ऐसे देखता था, जैसे यदि मैं उसे अपने गरम गोदाम का मालिक बना दूं, तो अभी मेरी चूचियों को चूस खाएगा, और मेरी चूत के रस को पी जाएगा।

एक दिन मैं बहुत ज्यादा गर्मी हो रही थी, तो मैं हाल में सोफे पर सिर्फ नाइटी पहन कर बैठी हुई थी।‌ तभी वह आया और मेरे पास बैठ गया और बोला: मम्मी आज तो बहुत ज्यादा गर्मी हो रही है।

मैं: हां बेटा, गर्मी तो है। क्या कर सकते है?

वह मेरे से चिपक कर मेरे सीने पर अपने सर रख दिया और बोला: मम्मी आप तो बहुत ज्यादा गर्म हो। देखो तुम्हारी गर्दन से पसीने की बूंदें टपक रही है, और इस गोदाम में जा रही है।

यह बोलते हुए उसने मेरी चूचियों की ओर इशारा कर दिया। मैं शर्मा गई और उसके गाल पर हल्के से चपत लगाते हुए बोली: बदमाश कहीं के, ऐसे नहीं बोलते।

और हम दोनों हंसने लगे। वह मुझसे चिपक रहा था। पंखा चल रहा था, पर हम दोनों गर्मी लग रही थी।

मेरा बेटा बोला: मम्मी आप एक काम क्यों नहीं करती, कपड़े निकाल दो।

मैं उसके बात सुन कर शर्मा गई और उसके गाल पर हल्के से चपत लगा दी, और बोली: बदमाश कहीं के!

फिर उसने हंसते हुए बोला: क्या हो गया मम्मी? यहां पर वैसे भी कौन है? मैं ही तो हूं, आपका बेटा।

और फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने हो गया, और पंखे का हवा खा कर सुस्ताने लगा।

वो मुझसे बोला: देखो मम्मी कितना आराम मिल रहा है।

मैं बोली: तू ही कर आराम, मुझे नहीं करना।

और मैं ऐसे ही सुस्ताने लगी।

तब वो बोला: मम्मी ऊपर देखो।

मैं ऊपर देखी।

फिर उसने बोला: हाथ ऊपर करो।

मैं हाथ ऊपर की, और ऊपर देखती रही, कि तभी उसने झट से मेरी नाइटी पकड़ कर ऊपर खींच कर निकाल दी। मैं उसके सामने पूरी तरीके से नंगी हो गई। मैं अंदर ब्रा और पेंटी उस दिन नहीं पहनी हुई थी।

मैं शर्म के मारे पीछे की ओर घूम गई, और उसके सामने अपनी गांड कर दी और चूची और चूत को छुपा ली। वह मुझे सॉरी बोलने लगा।

बेटा: मां आपका यह गोदाम तो बहुत ही बड़ा है (उसने अपने हाथ को मेरी गांड पर फिराते हुए बोला था)।

मैं चौंक उठी। मुझे ऐसा लगा जैसे आज मैं अपने आप को अपने बेटे से नहीं बचा पाऊंगी।

तभी मेरा दूसरा मन बोल उठा: पगली क्यों अपने आप को बचाना चाहती है? यह तेरा बेटा है तुझे सब कुछ दे सकता है। यदि बाहर गई तो कहीं की ना रह पाओगी। बाहर वाले तुझे नोच खाएंगे। यही सही मौका है‌। पकड़ ले अपने बेटे के लंड को।

यह सब सोच ही रही थी कि मेरा बेटा मेरे से सट गया और उसका लंड मेरी गांड की दरारों में महसूस होने लगा। मेरी सांसे और धड़कनें तेज हो गई। अब मैं ना कुछ सोच पा रही थी और ना ही कुछ कह पा रही थी। मेरा बेटा अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ते हुए अपने हाथ को मेरे चूचियों पर रख दिया। मेरी मुंह से एक आह निकल गई।

फिर मेरा बेटा बोला: मां मुझे आपके इन दोनों गरम गोदाम का मालिक बनना है।

मैं समझ गई कि मेरा बेटा मेरे गरम गोदाम का मालिक बन कर मेरी चूचियों और गांड को मसल कर चूसना चाहता था। मैं भी अब तैयार थी, कि मैं अपने इन दोनों गरम गोदाम को अपने बेटे के नाम कर दूं, और उसे अपने इस जवानी का रस चखा डालूं।

मेरा बेटा मेरे पीछे खड़े होकर अब मेरे चूचियों को मसलने लगा था। मैं अब उसकी तरफ घूमी, तो वह मुझे अपने बाहों में पकड़ लिया। मेरी चूचियां उसके सीने में सट गई। हम दोनों बिल्कुल नंगे खड़े थे उसका लंड मेरे चूत को छू रहा था, और वह मेरी गांड को दबा रहा था, उफ्फ।

मैं तनिक भी ना सोची और अपने बेटे के होठों पर होंठ लगा कर अपने गरम गोदाम का मालिक इसे बना दी। एक चुंबन लिया और उसके बाद सोफे पर बैठ कर उसके मुंह को अपने इन गरम गोदाम में डाल दी। मेरा बेटा बड़े प्यार से मेरे चूचियों को चूसना शुरू कर दिया।

मैं पूरी तरीके से गर्म थी। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। वह अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे गरम चूत में उंगली डाल कर मसलने लगा। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी, और वह बड़े प्यार से मेरी चूचियों को चूसते हुए निपल्स को काट रहा था।

फिर वह नीचे गया और मेरे चूत के रस को पीने लगा। मैं पसीने से तरबतर हुए जा रही थी, और वह मेरी चूत के रस को पी रहा था। मैं छटपटा रही थी वासना के ज्वार में। फिर मेरे बेटे ने मुझे नीचे उतारा और मेरे एक पैर को सोफे पर, और एक पैर को नीचे रख कर चूत को खोल दिया। उसने पीछे से अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया। उसके इस एहसास से मैं पूरी तरीके से धन्य हो गई।

क्या लंड था उसका, अंदर जाते ही मेरे सारे शरीर की गर्मी उतार दी उसने, और मैं ठंडी पड़ गई। सटासट उसने चोदना शुरू कर दिया। मेरी पायल बज उठी, और गांड पर थप थप की आवाज आने लगी। वह मेरी दोनों चूचियों को मसलते हुए मुझे चोद रहा था और मेरी गर्दन और गाल को चूम रहा था, और दांतों से काट रहा था।

फिर उसने मुझे सोफे पर लिटाया, और मेरे ऊपर आकर मेरे गरम गोदाम में अपना मुंह लगा कर चूचियों को चूसने लगा, और लंड को चूत में डाल कर चोदने लगा। मैं बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी, और अपनी चूचियों को चुसवा रही थी, और अपने पैर को उसकी कमर में लपेट कर चुदाई करवा रही थी। आज अपने बेटे से ही चुदवा कर मुझे बड़ा आनंद आ रहा था।

हम दोनों मां-बेटे चुदाई करते हुए एक साथ झड़ गए और दोनों शांत पड़ गए। फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में नहाने चले गए। नहाते हुए भी मेरे बेटे ने मुझे चोदा, और उसके बाद मेरी तो चुदाई का रास्ता ही साफ हो गया। मुझे अब बाहर बदनाम होने की कोई जरूरत नहीं थी। मुझे मेरे घर में ही मेरा बेटा अपने लंड से मेरी चूत की गर्मी शांत कर देता था।

मैं ब्रा पहनना भी छोड़ दी थी। मैं अपने इन गरम गोदाम को बेटे के नाम कर दी थी। वह जब भी बाहर से आता, तब वह मेरी चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगता। वह आते ही मेरे गरम गोदाम में अपना मुंह डाल देता, उउउउफ्फ्फफ्फ्फ़।

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